tag:blogger.com,1999:blog-11181333.post111964227623046752..comments2023-05-21T17:27:45.838+05:30Comments on मुम्बई ब्लॉग: हिंदी की हालतSHASHI SINGHhttp://www.blogger.com/profile/15088598374110077013noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-11181333.post-1119782316261518282005-06-26T16:08:00.000+05:302005-06-26T16:08:00.000+05:30अनुनादजी, हिंदी किसी की जड़ों में मट्ठा नहीं डाल रह...अनुनादजी, <BR/>हिंदी किसी की जड़ों में मट्ठा नहीं डाल रही बल्कि मट्ठा तो हिंदी की जड़ों में डाली जा रही है वह भी उसके समर्थकों (तथाकथित) द्वारा. मेरा यह मानना है कि हिंदी पर जिम्मेदारियों का बोझ कुछ ज्यादा ही लाद दिया गया है. मैं उस बोझ को कम करने की बाबत बात कर रहा हूं. अच्छा मैनेजर तो वह है जो अपने मातहतों की क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करे. ऐसा नहीं होने की स्थिति में मातहत भी कुंठित और मैनेजर कीSHASHI SINGHhttps://www.blogger.com/profile/15088598374110077013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11181333.post-1119777925767214112005-06-26T14:55:00.000+05:302005-06-26T14:55:00.000+05:30शशि भाई , ये बात समझ मे नही आई ।मेरे समझ मे नही आय...शशि भाई , ये बात समझ मे नही आई ।<BR/><BR/>मेरे समझ मे नही आया कि हिन्दी कैसे अपनी बोलियों के जड मे मट्ठा डाल रही है । एक तरफ़ आप कह रहे हैं कि वह खुद फटेहाल है और दूसरी तरफ़ दूसरी बात कह रहे हैं । कोई चीज फ़ैलती है तो जगह तो घेरती ही है । क्या आप चाहते हैं कि बच्चा तो मोटा-तगडा पैदा हो पर पेट बडा न दीखे ? <BR/><BR/>कोई बेहतर हल सुझाइये ना !<BR/><BR/>अनुनादअनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com