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Showing posts from January, 2007

गुरू के गुरू मनिरत्नम

कहीं पढ़ा था कि फिल्म गुरू के प्रीमियर पर जुनियर बच्चन का अभिनय देख बिग बी की आंखें नम हो गई. हो भी क्यों न? किसी भी बेटे की तरक्की पर हर पिता इसी तरह तो खुशी मनाते हैं. गुरू फिल्म में छोटे बच्चन वाकई बड़े हो गये दीखते हैं. अमिताभ बच्चन के बेटे होने के नाते अभिषेक की झोली हमेशा फिल्मों से भरी रही लेकिन वे एक बेहतर अभिनेता भी हैं इसकी झलक मनिरत्नम की ही फिल्म युवा में देखने को मिली थी. मनिरत्नम ने युवा फिल्म में अभिषेक के भीतर अभिनय का जो पौधा लगाया था गुरू तक वो एक बरगद का रूप ले चुका है. इस फिल्म में अभिषेक ने क्या कमाल का अभिनय किया है. यूं तो इस फिल्म में बहुत कुछ है देखने को लेकिन अगर किसी एक चीज के लिए यह फिल्म देखनी हो तो बेशक़ वो बात अभिषेक का अभिनय ही है. फिर भी इसका सारा श्रेय मैं अभिषेक को नहीं दूंगा. अगर दर्शक भूले न हों तो कुछ दिनों पहले ही धूम 2 में इसी अभिषेक पर ऋतिक बहुत भारी पड़े थे. बात साफ है श्रेय निर्देशक मनिरत्नम के सिर. मनिरत्नम हमेशा से ही मुख्यधारा में घुसकर सार्थक फिल्में बनाते रहे हैं. राजकपूर की तरह समसामयिक सामाजिक मुद्दों को अपनी फिल्मों की विषयवस्तु बनाने वाले...

मिश्री की डली: मैथिली

अब तक मैंने आपको भोजपुरी लोकसंगीत सुनाया. आज आपको सुनाता हूं दुनिया की मधुरतम भाषाओं में से एक मैथिली के कुछ लोकगीत. इन लोकगीतों का आनंद लीजिये और शुक्रिया कहिये बीबीसी हिंदी की टीम को जिन्होंने इस विषय पर आज सवेरे एक विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया. यह ऑडियो क्लिप उसी कार्यक्रम का हिस्सा है. मिश्री की डली