इंटरनेट पर इन दिनों ब्लॉगिंग की खूब चर्चा है, हालाँकि इसकी शुरुआत तकरीबन दस साल पहले अँग्रेजी में हुई थी मगर अब हिंदी लिखने-पढ़ने वालों में भी यह विधा लोकप्रिय हो चली है. ब्लॉग यानी इंटरनेट पर डायरीनुमा व्यक्तिगत वेबसाइटें, जिसके लिए हिंदी में ‘चिट्ठा’ नाम प्रचलित और स्थापित हो चुका है. महज साढ़े चार साल पहले हिंदी ब्लॉग लेखन की शुरुआत हुई थी और आज हिंदी चिट्ठों की तादाद हज़ार से ऊपर है. मगर इस विधा को हिंदी में अपनाना कोई आसान काम नहीं था. शुरुआती दौर को तकनीकी गुरू और चिट्ठाकार रवि रतलामी कुछ यों याद करते है, “उन दिनों दो सवाल खूब पूछे जाते थे. पहला तो ये कि कंप्यूटर पर हिंदी नहीं दिखती, क्या करें? और दूसरा ये कि हिंदी दिखती तो है मगर हिंदी में लिखें कैसे?” ये सवाल हालाँकि लोग अब भी पूछते हैं लेकिन भोमियो और गूगल इंडिक ट्रांसलिटरेशन टूल जैसी सुविधाओं के आ जाने से देवनागरी लिखना पहले के मुक़ाबले बहुत आसान हो गया है. इंटरनेट पर हिंदी और ब्लॉगिंग से जुड़ी ऐसी तमाम परेशानियों को दूर करने के उद्देश्य से तकनीक के जानकार चिट्ठाकार अपने चिट्ठों पर समय-समय पर लिखते रहे हैं जिन्हें खू...