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जेठ की कजरी

जेठ की उमस भरी दुपहरी
बेचैन-सी कजरी
हाय रे, बनाती तू अमीरों के महले-दूमहले
झोपड़ी मयस्सर न तुझे रे कजरी
पेड़ पर टांगा है पुरानी धोती का पालना
जिस पर झूलता है तेरा लालना
सिर पर गारे की तगाड़ी संभाले एक हाथ
दूसरे हाथ में है मलिन चीथड़े का पल्लू
क्या संभाले वो
एक में है उसके भूखे बच्चे की रोटी
दूसरे हाथ में अस्मिता है सिमटी
करती वो परवाह किसकी
देता उसे क्या जमाना
भूखे गिद्ध-सी नजरे और हवस का नजराना
जीतती है मां, हारती यौवना
नहीं वो सिर्फ यौवना,एक मां भी है जिसे पूजता सारा जमाना

Comments

debashish said…
Welcome to Hindi blogdom. There are many others like you, do have alookt at http://www.myjavaserver.com/~hindi and http://www.nirantar.org.
Kaul said…
शशि जी,
बहुत अच्छा लिखा है। स्वागत है हिन्दी चिट्ठा संसार में।
- रमण
Unknown said…
हिन्दी ब्लॉग जगत पर आपका स्वागत है। आशा है कि आप लिखती रहेंगी व औरों को भी प्रेरित करेंगी।
शशि जी, आपकी हिन्दी ब्लागिंग के परिवार मे हार्दिक स्वागत है.आशा है आपके आने से इस परिवार की शोभा और बढेगी और आपके लेखों एवं विचारों से बाकी सभी साथियों का मार्गदर्शन होगा. किसी भी प्रकार की सहायता के लिये हम आपसे एक इमेल की दूरी पर है.
Atul Arora said…
swagat hai
पेशे,जुनून और आदत के साथ स्वागत है शशिजी आपका।
Anonymous said…
KA HO SHASHI BHAI
KA HO TUTO IHO SAB LIKHLETHA BHAI
EKAR MATLAB EE TOHAR BLOG THIKAI CHEZZZZ HAI.

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क्या आप जानते हैं महाराष्ट्र के पूर्व उप-मुख्यमंत्री की नौकरी जाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता आर.आर. पाटील इन दिनों क्या कर रहे हैं? इन दिनों वे अपनी हिन्दी सुधारने लगे हैं। आबा के नाम से मशहूर श्री पाटिल को मलाल है कि उनकी हिन्दी अच्छी नहीं होने के कारण उनके बयानों को गलत संदर्भ में लिया गया जिससे उनकी नौकरी चली गई। मतलब ये कि उन्होंने जो कुछ भी ग़लत हिन्दी में कहा उसका मतलब कुछ और था। (अब चलिये मतलब आप हिन्दी सीखकर कभी समझा दीजियेगा।) पूरा पढ़ें

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