अगर आप मानते हैं कि राजे-रजवाड़े बीते दिनों की बातें हैं तो आप मुगालते में हैं. यकीन न हो तो किसी पुराने नवाब या नये नवाबजादों की सनक के रास्ते आकर देखिए. भारत में अक्सर 'ख़ास' लोगों के आपराधिक मामलों में फंसने की ख़बर आती है, कभी दलेर मेंहदी, सलमान ख़ान, तो कभी मंत्रिपद संभाल रहे शिबू सोरेन की. इन दिनों सुर्खियों में है टाइगर मंसूर अली ख़ां पटौदी और टाइम पत्रिका में नाम दर्ज करवानेवाले पटना के पूर्व ज़िलाधीश गौतम गोस्वामी. अगर आप आम आदमी हैं तो पुलिस बिना बात के भी आपको उठाकर ले जा सकती है. ख़ास हैं तो फिर डरने की क्या बात है. मजे से अपराध कीजिए, फुरसत मिले तो अग्रिम जमानत ले लीजिए. वैसे जब तक न मिले तब तक अंडरग्राउंड रह सकते हैं. पुलिसवाला आपके घर आपकी दावत में बतौर मेहमान आयेगा जरूर, मगर क्या मजाल जो आपको पहचान जाए. सिर पर घोषित इनाम का बुरा तो आम लोग मानते हैं. ख़ास तो इसे सिर का ताज मानते हैं. वाह ताज! वैसे अमेरिका की नकल में भले हमारा कोई सानी नहीं, मगर इस मामले में? स्वदेसी आंदोलन जिंदाबाद! भले ही अमेरिकी पुलिस अपनी एक 'ख़ास' हस्ती, मशहूर अभिनेता रसेल क्रो, को सारी द...