ईमानदार कोशिशें हमेशा रंग लाती है. इसकी ताज़ा मिसाल है अपनी पीढ़ी में सबसे प्रतिभाशाली हिन्दुस्तानी पत्रकार राजदीप सरदेसाई का नया समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन. इस चैनल के टेस्ट सिग्नल की शुरुआत हो गई है और संभवत जनवरी के पहले सप्ताह से यह विधिवत मैदान में होगा.
अगर आप पहली नज़र के प्यार पर यकीन करते हैं तो मैं कहना चाहूंगा कि कल रात पहली मुलाकात में ही मुझे सीएनएन-आईबीएन से प्यार हो गया. वैसे तो मैं खुद भी पत्रकार रहा हूं लेकिन इस बहुचर्चित और बहुप्रतिक्षित चैनल के सामने कल मैं एक आम दर्शक के रूप में बैठा था. मेरा अनुभव कहता है कि यह चैनल भीड़ से बिलकुल अलग है. राजदीप के आईबीएन सेना का हर सिपाही अपना बेस्ट देने की कामयाब कोशिश कर रहा था. सबसे मजेदार बात तो मुझे यह लगी कि इनमें से कुछ सिपाही जब दूसरी सेनाओं में थे तब वे इतने योग्य कभी नहीं लगे. इस बात के लिए मुझे एक बार फिर राजदीप के नेतृत्व की तारीफ करनी पड़ेगी.
कल तकरीबन ढाई घंटे तक मैंने इनका प्रसारण देखा, न्यूज़ ब्रॉडकास्ट के हर क्षेत्र में यह चैनल नये मानक तय करता मालूम पड़ता है. सही मायने में इस चैनल की शुरुआत के साथ भारत में न्यूज़ ब्रॉडकास्ट बिजनेस परिपक्वता के साथ दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है जहां पहले चरण के फिसड्डियों के लिए कोई जगह नहीं होगी.
चैनल के अपने एक प्रोमो में राजदीप ने ख़बरों के बमरूपी ताकत के सही इस्तेमाल का भरोसा दिलाया है. कभी एनडीटीवी के डॉ. प्रणव रॉय के सेनापति रहा यह योद्धा अगर इस भरोसे पर खरा उतरता है तो फिर उसके लिए अनंत ही सीमाएं होंगी. लेकिन इससे पहले राजदीप के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती होगी वह है आईबीएन का हिंदी संस्करण लाना और उसे सफल बनाना. चूंकि वे अंग्रेजी में खुद को सहज महसूस करते हैं इसलिए उनपर इस बात का दबाव होगा की वे हिंदी में भी बेहतर करके बाताएं. वैसे मुझे पूरा यकीन है कि वे ऐसा कर पाने में कामयाब होगें.
मेरी शुभकामनाएं राजदीप और उनकी पूरी टीम के साथ है.
अगर आप पहली नज़र के प्यार पर यकीन करते हैं तो मैं कहना चाहूंगा कि कल रात पहली मुलाकात में ही मुझे सीएनएन-आईबीएन से प्यार हो गया. वैसे तो मैं खुद भी पत्रकार रहा हूं लेकिन इस बहुचर्चित और बहुप्रतिक्षित चैनल के सामने कल मैं एक आम दर्शक के रूप में बैठा था. मेरा अनुभव कहता है कि यह चैनल भीड़ से बिलकुल अलग है. राजदीप के आईबीएन सेना का हर सिपाही अपना बेस्ट देने की कामयाब कोशिश कर रहा था. सबसे मजेदार बात तो मुझे यह लगी कि इनमें से कुछ सिपाही जब दूसरी सेनाओं में थे तब वे इतने योग्य कभी नहीं लगे. इस बात के लिए मुझे एक बार फिर राजदीप के नेतृत्व की तारीफ करनी पड़ेगी.
कल तकरीबन ढाई घंटे तक मैंने इनका प्रसारण देखा, न्यूज़ ब्रॉडकास्ट के हर क्षेत्र में यह चैनल नये मानक तय करता मालूम पड़ता है. सही मायने में इस चैनल की शुरुआत के साथ भारत में न्यूज़ ब्रॉडकास्ट बिजनेस परिपक्वता के साथ दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है जहां पहले चरण के फिसड्डियों के लिए कोई जगह नहीं होगी.
चैनल के अपने एक प्रोमो में राजदीप ने ख़बरों के बमरूपी ताकत के सही इस्तेमाल का भरोसा दिलाया है. कभी एनडीटीवी के डॉ. प्रणव रॉय के सेनापति रहा यह योद्धा अगर इस भरोसे पर खरा उतरता है तो फिर उसके लिए अनंत ही सीमाएं होंगी. लेकिन इससे पहले राजदीप के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती होगी वह है आईबीएन का हिंदी संस्करण लाना और उसे सफल बनाना. चूंकि वे अंग्रेजी में खुद को सहज महसूस करते हैं इसलिए उनपर इस बात का दबाव होगा की वे हिंदी में भी बेहतर करके बाताएं. वैसे मुझे पूरा यकीन है कि वे ऐसा कर पाने में कामयाब होगें.
मेरी शुभकामनाएं राजदीप और उनकी पूरी टीम के साथ है.
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