इश्क का सफर ये कैसा
ना शुरू की ख़बर
ना आखिर का गुमां
हो रास्ते में आपका साथ
था बस यही एक अरमां
सुना था...
हर रिश्ते का जरूरी होता है इक नाम
आप माशूक हैं हमारे
हमने भी कह डाला सरेआम
पड़ते ही नाम हुआ ये अंजाम
कि बाकी है अब पकड़ना महज इक जाम
बड़े-बुढ़े ठीक कहा करते
सुनी-सुनाई बातों पर यकीन ना कर
अच्छी भली ख़्वाहिश
आज बेवफा-सी तो ना लगती
Saturday, June 25, 2005
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