(पिछले आलेख "प्रेमचंद का बॉयोडाटा" के संदर्भ में)
कन्फ्युजियाइये मत स्वामीजी, ई न टाईपो है आउर न ह्युमर है, ई तो हमरा आपन मिस्टेक बुझा रहा है. अभी ठीक किये देते हैं.
वैसे हमको हमरा विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि श्री प्रेमचंदजी अपनी आत्मा हमरा भीतर प्रवेश करवाकर हमरा से ई ग़लती करवाएं हैं. अभी भाया चित्रगुप्तजी हम प्रेमचंदजी से संपर्क करने का कोशिश किया. वहां से एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये स्पष्टीकरण आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि उ चैनल बाबू के लिए का प्रेमचंद?.. का प्रेमकंद आउर का शकरकंद?... सब धन बाइस पसेरी. इसीलिए प्रेमचंदजी की आत्मा की इच्छा थी कि चैनल बाबू जैसे लोगों को प्रेमकंद या शकरकंद या चाहे जिसका बायोडाटा भिजवाना हो भिजवा दिया जाए. प्रेमचंद की किताबों के बारे में बिल्कुल न बताया जाए वरना जीते जी तो अब नहीं कह सकते, हां मरते जी फिर से मर जाएंगे.
फिर हमने दूबारा निवेदन किया श्री प्रेमचंदजी, इस धरती पर स्वामीजी जैसे लोग भी हैं जो 'प्रेमकंद' के नहीं, 'प्रेमचंद' और उनके साहित्य के रसिक है. निवेदन स्वीकृत हो गया है और अब दुनिया के सामने 'प्रेमकंद' की जगह 'प्रेमचंद' का बायोडाटा पेश कर दिया गया है.
Wednesday, July 20, 2005
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2 comments:
ये भी खूब रही..बहुत अच्छे....
प्रत्यक्षा
Grreat blog I enjoyed reading
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