आज भोजपुरी में कुछ लिखे के मन करता... बाकि बुझाते नइखे कि कहां से शुरू कइल जाए. अच्छा चली रामजी के नाव लेके कोलियरी चलल जाव. रउआ लो में से अगर केहू भोजपुरिया होई त उनके यह बात के जरूर ज्ञान होई कि अपना भोजपुरी समाज में कलकत्ता के चटकल के बाद सबसे अधिका प्रभाव कोलियरिये के पड़ल बा. वइसे इ बता दीं कि हमहूं कोलियरिये के गर्दा फांक के सयान भइल बानी.
भोजपुरिया समाज के मूल बिहार अ यु.पी. ह बाकि इत्र के सुगंध खानी आज हमनी दुनिया के हर कोना में पाय जाय वाला प्रजाति के जीव हो गइल बानी स. लेकिन जब कोलियरी के बात होता त बिहार से कटके नया बनल राज्य झारखंड चले के पड़ी. वइसे इ अलग बात बा कि यह बंटवारा से कुछ नेताजी लोग के छोड़ के शायदे केहू के भला भइल बा.
आज त हालात बहुत बदल गइल बा बाकि पापा (32 साल कोलियरी में नौकरी करके इहे 30 जून के रिटायर भइनी ह) बतावेनी कि पहिले कोलियरी में केहू आवल ना चाहत रहे. गरीबी के मार कहीं भा कौनो आउर मजबुरी भोजपुरी क्षेत्र के आपन किसानी छोड़के लोगन के कोयलांचल के जंगल-झाड़ में आके आपन किस्मत आजमावे के सिलसिला बहुत पुरान ह. सत्तर के दशक में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कोलियरी में सुरक्षा पर बहुत ध्यान देहल जाय लागल, जेकरा चलते वोजा काम कइल पहिले जइसन खतरनाक त नइखे रह गइल बाकि मुश्किल अबहिंयो बा. अभी हाले में रामगढ़ कोयलांचल में खदान धंसला से 14 लोग के मौत वोह मुश्किल के एगो बानगी भर बा. अइसने एगो दुर्घटना 30 साल पहिले चासनाला में भइल रहे जहां सैकड़ों लोग आपन जान गंवा देले रहन. इहे घटना पर आधारित यश चोपड़ा के फिल्म 'काला पत्थर' आज भी अगर हम देख लीं त आंख से झरझर पानी बहे लागेला.
अब देखी न आंख त अभियों नम हो गइल... आज खाती एतना ही. कोलियरी के जिनगी के बहुत रंग बा बाकि वादा रहल कि उ रंग हम रउआ लो के जरूर देखाइम.
भोजपुरिया समाज के मूल बिहार अ यु.पी. ह बाकि इत्र के सुगंध खानी आज हमनी दुनिया के हर कोना में पाय जाय वाला प्रजाति के जीव हो गइल बानी स. लेकिन जब कोलियरी के बात होता त बिहार से कटके नया बनल राज्य झारखंड चले के पड़ी. वइसे इ अलग बात बा कि यह बंटवारा से कुछ नेताजी लोग के छोड़ के शायदे केहू के भला भइल बा.
आज त हालात बहुत बदल गइल बा बाकि पापा (32 साल कोलियरी में नौकरी करके इहे 30 जून के रिटायर भइनी ह) बतावेनी कि पहिले कोलियरी में केहू आवल ना चाहत रहे. गरीबी के मार कहीं भा कौनो आउर मजबुरी भोजपुरी क्षेत्र के आपन किसानी छोड़के लोगन के कोयलांचल के जंगल-झाड़ में आके आपन किस्मत आजमावे के सिलसिला बहुत पुरान ह. सत्तर के दशक में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कोलियरी में सुरक्षा पर बहुत ध्यान देहल जाय लागल, जेकरा चलते वोजा काम कइल पहिले जइसन खतरनाक त नइखे रह गइल बाकि मुश्किल अबहिंयो बा. अभी हाले में रामगढ़ कोयलांचल में खदान धंसला से 14 लोग के मौत वोह मुश्किल के एगो बानगी भर बा. अइसने एगो दुर्घटना 30 साल पहिले चासनाला में भइल रहे जहां सैकड़ों लोग आपन जान गंवा देले रहन. इहे घटना पर आधारित यश चोपड़ा के फिल्म 'काला पत्थर' आज भी अगर हम देख लीं त आंख से झरझर पानी बहे लागेला.
अब देखी न आंख त अभियों नम हो गइल... आज खाती एतना ही. कोलियरी के जिनगी के बहुत रंग बा बाकि वादा रहल कि उ रंग हम रउआ लो के जरूर देखाइम.
Comments
-राजॆश
ई भोजपुरी समाज ( http://www.bhojpuri.org
) के लोग के काहें न समुझावल जा कि आपन बातचीत रोमन में लिखल बन्द कके देवनागरी मे करल शुरू क दें ।
अनुनाद सिंह
hamar naam -shantanu prasad koiry