Thursday, July 21, 2005

डर हमारी जेबों में



प्रमोद कुमार तिवारीजी के उपन्यास 'डर हमारी जेबों में' का अंश पढ़िये. बड़ा खूबसूरत और मार्मिक है यह... वैसे तो उपन्यास कुछ पुराना है लेकिन इस बार कथा, यूके ने इसे इंदु शर्मा-2005 पुरस्कार से सम्मानित करने का फ़ैसला किया है और इसी से यह पुस्तक एक बार फिर प्रासंगिक हो गई है.
उपन्यास के अंश के लिए यहां क्लिक करें.

No comments: