Sad part is such efforts go unnoticed, Google told me that this news was reported almost a year back The Hindu (http://www.hindu.com/2004/12/16/stories/2004121607140500.htm). Thanks to BBC for reviving a worthy news.
हिन्दी कंप्यूटिंग में जो तरक्की हो रही है, उसे दिन दूनी और रात चौगुनी ही कहा जा सकता है। पर एक बात मेरी समझ में नहीं आती -- साइबर-कैफेओं पर अक्सर हिन्दी पढ़ने की सुविधा क्यों नहीं होती? मैंने जितने परिचितों को हिन्दी साइटों के लिंक भेजे हैं, वे लौट कर कहते हैं कि वहाँ तो बक्से दिखे। विंडोज़-XP में तो हिन्दी बिना किसी कोशिश के दिखनी चाहिए, जैसे कि मेरा यहाँ (US) के साइबर-कैफे, लाइब्रेरी आदि में अनुभव है। क्या इस का अर्थ है कि भारत के अधिकांश साइबरकैफेओं में पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम हैं? क्या इस के लिए कोई अभियान चलाया जा सकता है कि हमारे स्वयंसेवक साइबरकैफेओं का हिन्दीकरण करें?
हिन्दुस्तान मे साइबर कैफे वालो मे सबसे बड़ा समुह है सिफी कैफे का, लेकिन वे लोग भी विन्डोज 98 प्रयोग करते है, शायद कुछ रायल्टी वगैरहा का चक्कर है, और जनाब विन्डोज 98 मे आपको हिन्दी की जगह डब्बे ही नजर आयेंगे. मै तो बहुत परेशान हुआ, और तो और, अपनी गूगलमेल भी नही चलती, क्योकि उसके लिये जावा चाहिये होती है, अब सिफी वालों को कौन समझाये?
इन दिनों मुम्बई में एक बड़ी बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी में मैनेजरी कर रहा हूं। यहां अपनी भूमिका मोबाइल पर मूल्य वर्धित सेवाएं (Value Added Services) के लिए उपयोगी बॉलीवुड और क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री की पहचान और विकास की जिम्मेदारी है। वैसे ये काम भी मीडिया से जुड़ा है लेकिन थोड़े अलग मिजाज का है… जिसको समझने की कोशिश में हूं।
कर्मभूमि मुम्बई है लेकिन जड़े झारखंड के कोयला खदानों से होती हुई बिहार में सरयू नदी के तीर तक जाती है। भोजपुरी, नागपुरी व हिंदी मेरी कमजोरी… न… न… मेरी ताकत हैं. बच्चे मुझे बेहद पसंद हैं. उनकी एक मुस्कान मेरे लिए भारी से भारी तनाव में रामवाण साबित होता है. शायद भगवान ने इसीलिए एक प्यारे से बेटे वेदांत का बाप बना दिया है. घर में वेदांत की मां, मेरे माता-पिता और दो छोटे भाई हैं. बस हो गया यार… अब और क्या जानना चाहते हो?
4 comments:
चिट्ठी लिखी है उनको - dangijs ऍट yahoo पे। शायद वे भी चिट्ठा लिखते हों, या लिखना चाहें।
Sad part is such efforts go unnoticed, Google told me that this news was reported almost a year back The Hindu (http://www.hindu.com/2004/12/16/stories/2004121607140500.htm). Thanks to BBC for reviving a worthy news.
हिन्दी कंप्यूटिंग में जो तरक्की हो रही है, उसे दिन दूनी और रात चौगुनी ही कहा जा सकता है। पर एक बात मेरी समझ में नहीं आती -- साइबर-कैफेओं पर अक्सर हिन्दी पढ़ने की सुविधा क्यों नहीं होती? मैंने जितने परिचितों को हिन्दी साइटों के लिंक भेजे हैं, वे लौट कर कहते हैं कि वहाँ तो बक्से दिखे। विंडोज़-XP में तो हिन्दी बिना किसी कोशिश के दिखनी चाहिए, जैसे कि मेरा यहाँ (US) के साइबर-कैफे, लाइब्रेरी आदि में अनुभव है। क्या इस का अर्थ है कि भारत के अधिकांश साइबरकैफेओं में पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम हैं? क्या इस के लिए कोई अभियान चलाया जा सकता है कि हमारे स्वयंसेवक साइबरकैफेओं का हिन्दीकरण करें?
हिन्दुस्तान मे साइबर कैफे वालो मे सबसे बड़ा समुह है सिफी कैफे का, लेकिन वे लोग भी विन्डोज 98 प्रयोग करते है, शायद कुछ रायल्टी वगैरहा का चक्कर है, और जनाब विन्डोज 98 मे आपको हिन्दी की जगह डब्बे ही नजर आयेंगे. मै तो बहुत परेशान हुआ, और तो और, अपनी गूगलमेल भी नही चलती, क्योकि उसके लिये जावा चाहिये होती है, अब सिफी वालों को कौन समझाये?
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