सही में ये शर्म की बात है। ये अधिकारी कौन से हीरे मोती में जड़े हैं या कौन से इनके हाथ पैर टूट गये हैं जो इनको पानी से खुद निकलने में शर्म आ रही है। शर्म आनी चाहिये अपने नीचे के लोगों से इस तरह का काम करवाते। नीच हैं ये सब के सब अधिकारी चाहे वो गुजरात हो या महाराष्ट्र या तमिलनाडु।
इन दिनों मुम्बई में एक बड़ी बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी में मैनेजरी कर रहा हूं। यहां अपनी भूमिका मोबाइल पर मूल्य वर्धित सेवाएं (Value Added Services) के लिए उपयोगी बॉलीवुड और क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री की पहचान और विकास की जिम्मेदारी है। वैसे ये काम भी मीडिया से जुड़ा है लेकिन थोड़े अलग मिजाज का है… जिसको समझने की कोशिश में हूं।
कर्मभूमि मुम्बई है लेकिन जड़े झारखंड के कोयला खदानों से होती हुई बिहार में सरयू नदी के तीर तक जाती है। भोजपुरी, नागपुरी व हिंदी मेरी कमजोरी… न… न… मेरी ताकत हैं. बच्चे मुझे बेहद पसंद हैं. उनकी एक मुस्कान मेरे लिए भारी से भारी तनाव में रामवाण साबित होता है. शायद भगवान ने इसीलिए एक प्यारे से बेटे वेदांत का बाप बना दिया है. घर में वेदांत की मां, मेरे माता-पिता और दो छोटे भाई हैं. बस हो गया यार… अब और क्या जानना चाहते हो?
3 comments:
सही में ये शर्म की बात है। ये अधिकारी कौन से हीरे मोती में जड़े हैं या कौन से इनके हाथ पैर टूट गये हैं जो इनको पानी से खुद निकलने में शर्म आ रही है। शर्म आनी चाहिये अपने नीचे के लोगों से इस तरह का काम करवाते। नीच हैं ये सब के सब अधिकारी चाहे वो गुजरात हो या महाराष्ट्र या तमिलनाडु।
हे प्रभू उठा ले .. मुझे नही, इन्हें!
Uppar wala inhe thora aur uppar utha leta jehan se ye wapas na aa paate....
Post a Comment